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उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,


उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,

खाटू जी दरबार गया मैं अजब नजारा देखा,
सोना चाँदी के मंदिर में बाबा बैठा देखा,
जो भी आया दर पे उसकी कर दी बल्ले बल्ले,
उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,

अलग नज़ारे करके देखो,सब की झोली भरता,
जिसको अपना कहते बाबा उसके आगे आगे चलता,
तुम भी करलो दर्शन कही रह ना जाना इकले,
उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,

नोटबांधि हुई थी बारी टेंशन में थे सारे,
खाटू जाने वाले प्रेमी मस्त मस्त थे सारे,
श्याम प्रभु ने करके किरपा भर दिए सबके गल्ले,
उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,

मौज मनवाये रोज मनवाए जो भी खाटू जी को जावे,
भजनो में हो वो मस्त मस्त भापे का हो जावे.
इसके रंग में रंग के देखो हम तो होंगे झल्ले,
उसके भगतो की गद्दी पूरी १५० पे चले,

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