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स्वरों से संवार दे

विनोद गिरधर
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स्वरों से संवार दे

मां सरस्वती मां शारदे
मुझको स्वरों से संवार दे

शालीनता का वास हो
वाणी में मेरी मिठास हो
सुर ताल का अभ्यास हो
गायन को मेरे निखार दे

अधरों पे मधु मुस्कान दे
प्रति पल विजय वरदान दे
तिल भर भी न अभिमान दे
स्वाभिमान का श्रृंगार दे

निस दिन करूं मैं आराधना
करना सफल मेरी साधना
किसी से कभी हो विवाद ना
वो आलोक  वो संसार दे

कृपा-  ईश प्रेरणा

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